आखिर क्यों मनुष्य अपने ही जैसे मनुष्य की आजादी से परेशान हो जाता है ?

आप सोचिये एक मनुष्य अपने ही जैसे दूसरे मनुष्य को मारने,डराने धमकाने को आतुर है | कैसे समाज में जी रहे हैं हम ?

आखिर क्यों मनुष्य अपने ही जैसे मनुष्य की आजादी से परेशान हो जाता है ?

जातिवादी मानसिकता भारत में एक कलंक की तरह है, और ये आज भी समाज में व्याप्त है, हर रोज कोई न कोई ऐसी खबर आ ही जाती है जिसमें जातिवादी मानसिकता वाले लोग दलितों  को या तो परेशान कर रहे होते हैं, या उनकी बहू-बेटियों पर अत्याचार कर रहे होते हैं | ये बेहद ही शर्म की बात है कि समाज में आज भी इस तरह का मानसिक जहर लोगों के अन्दर है | ये मैं इसलिए कह रहा हूँ क्यों कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक दलित व्यक्ति की बारात पर पथराव करने मामला सामने आया है। इस मामले में पुलिस ने 10 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। घटना गुरुवार देर रात हुई।

 

 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुल्हन पक्ष का आरोप है कि जिस समय लोगों ने पत्थर फेंके उस समय सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी तैनात थे लेकिन उनकी तैनाती के बावजूद लोगों ने बारात पर पथराव किया। वहीं, पुलिस का दावा है कि बारात को पूरी सुरक्षा दी गई थी।

 

 

हम आपको बता दें जब जुलूस सवर्ण जाति के आसपास से गुजर रहा था, तो कुछ लोगों ने उस पर पथराव कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि आजादी के इतने बरस हो गए लेकिन अभी भी इस तरह की भेदभाव की घटनाएं सामने आती हैं। बताया जा रहा है कि पथराव में 12 लोग घायल भी हो गए। यह भी बताया जा रहा है कि पुलिस की तैनाती में लोगों ने दलित व्यक्ति की बारात पर पथराव की घटना को अंजाम दिया।

 

 

आप सोचिये एक मनुष्य अपने ही जैसे दूसरे मनुष्य को मारने,डराने धमकाने को आतुर है | कैसे समाज में जी रहे हैं हम ? और ऐसा नहीं है कि ये जातिवादी मानसिकता  छोटे-छोटे गाँवों, शहरों में व्याप्त है, नहीं ये बड़े-बड़े शहरों में भी व्याप्त है लेकिन बहुत गहराई में जाकर पता चलता है |  

 

 

ये धरती सबके लिए है, सबको स्वतंत्र जीने की आज़ादी है, ये पेड़-पौधे,सूरज, ये चारों और फैली प्रकृति कभी भेदभाव नहीं रखती मनुष्यों के प्रति तो हम मनुष्य होकर भी अपने ही जैसे मनुष्य की आज़ादी से परेशान क्यों हो जाते हैं ?

मैं आपसे इतना ही कहूँगा कि भारत में जातिवाद रुपी जख्म गहरा है, देर से भरेगा |

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