Nikhat Zareen Story: रिश्तेदार कहते थे 'शॉर्ट्स मत पहनो, लेकिन जिद ऐसी कि इतिहास रच दिया |

चाचा की सलाह पर बॉक्सिंग रिंग में उन्होंने 14 साल की उम्र में उतरने का फैसला किया और वर्ल्ड यूथ बॉक्सिंग चैंपियन का ताज पहना।

Nikhat Zareen Story: रिश्तेदार कहते थे
Desh 24X7
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May 21,2022 04:59

भारत की निकहत जरीन (Nikhat Zareen) ने 52 किलो भार वर्ग में महिलाओं की वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रचा है। उन्होंने अपने मुक्कों से मेडल ही नहीं जीता बल्कि उनके खेल के कपड़ों पर ऊंगली उठाने वालों पर भी मुक्का जड़ा है जिसे रिश्तेदार कहते थे शॉर्ट्स मत पहनो, वह निकहत बन गई वर्ल्ड चैंपियन। भारत की निकहत जरीन (Nikhat Zareen) ने 52 किलो भार वर्ग में महिलाओं की वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रचा है। उन्होंने अपने मुक्कों से मेडल ही नहीं जीता बल्कि उनके खेल के कपड़ों पर ऊंगली उठाने वालों पर भी मुक्का जड़ा है। 25 साल की निकहत जरीन ने तुर्की के इस्तांबुल में महिला विश्व चैंपियनशिप के फ्लाइवेट (52 किलोग्राम) वर्ग में थाईलैंड की खिलाड़ी जिटपॉन्ग जुटामास को 5-0 से हराकर गोल्ड मेडल जीता है। इस तरह से वह नई चैंपियन बन गईं हैं।

 

निकहत (Nikhat Zareen) गोल्ड मेडल जीतने वाली पांचवीं भारतीय महिला हैं। उनसे पहले एमसी मैरीकॉम ने छह बार गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। मैरीकॉम ने 2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018 में चैंपियनशिप जीती थी। उसके बाद सरीता देवी 2006, जेन्नी आरएल 2006 और लेखा केसी 2006 में खिताब अपने नाम किया। निकहत ने चार साल बाद भारत को महिला विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक दिलाया है निजामाबाद (तेलंगाना) में जन्मी निकहत की कहानी संघर्ष भरी है। उन्होंने बॉक्सिंग के रिंग में तो संघर्ष किया ही है बल्कि अपने रढ़िवादी रिश्तेदारों से भी मुकाबला किया। उनके पिता मोहम्मद जमील एक जमाने में फुटबॉल और क्रिकेट के खिलाड़ी थे। उनकी चार बेटियां हैं और वे चाहते थे कि उनकी एक बेटी खिलाड़ी बने।

 

तीसरे नंबर की बेटी निकहत के लिए पिता ने एथलेटिक्स को चुना और निकहत ने इसमें बढ़िया प्रदर्शन किया। लेकिन एक चाचा की सलाह पर बॉक्सिंग रिंग में उन्होंने 14 साल की उम्र में उतरने का फैसला किया और वर्ल्ड यूथ बॉक्सिंग चैंपियन का ताज पहना। इसी के साथ निकहत का सफर शुरू हो गया। निकहत के पिता जमील ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा है कि विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतना एक ऐसी चीज है जो मुस्लिम लड़कियों के साथ-साथ देश की हर लड़की को जीवन में बड़ा हासिल करने का लक्ष्य रखने के लिए प्रेरणा का काम करेगी। एक बच्चा, चाहे वह लड़का हो या लड़की, उसे अपना रास्ता खुद बनाना पड़ता है और निकहत ने अपना रास्ता खुद बनाया है।

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