भाजपा की जीत में किसका हाथ है, जानिये किसने किसका खेल बिगाड़ा ?

इस तरह भाजपा ने पश्चिम बंगाल में लगातार सात बार जीत के वाम मोर्चे के रिकॉर्ड की भी बराबरी कर ली है |

भाजपा की जीत में किसका हाथ है, जानिये किसने किसका खेल बिगाड़ा ?

Gujarat Election Results 2022 : गुजरात विधानसभा चुनाव में अब तक की सर्वश्रेष्ठ जीत हासिल कर भाजपा ने गुरुवार को इतिहास रच दिया. पार्टी ने राज्य में न केवल लगातार सातवीं बार बहुमत हासिल किया है, बल्कि सूबे में किसी भी दल की अब तक की यह सबसे बड़ी जीत भी है़ भाजपा को 182 में से 156 सीटें मिली हैं और लगभग 53 प्रतिशत मत मिले हैं. इससे पहले वर्ष 1985 में कांग्रेस ने राज्य में 149 सीट जीतने का रिकॉर्ड बनाया था. बड़ी बात यह है कि भाजपा ने ऐसा शानदार प्रदर्शन 27 साल सत्ता में रहने के बाद किया है.

 

इस तरह भाजपा ने पश्चिम बंगाल में लगातार सात बार जीत के वाम मोर्चे के रिकॉर्ड की भी बराबरी कर ली है. वाम मोर्चे ने 34 साल तक बंगाल पर शासन किया था.

 

गुजरात में परंपरागत रूप से बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला रहा है. हालांकि, इस बार AAP के चुनाव मैदान में उतरने से राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला है. गुजरात में विपक्ष ने महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक उतार-चढ़ाव के मुद्दों पर बीजेपी और मोदी सरकार को घेरने का प्रयास किया. लेकिन, सत्तारूढ़ दल की साख को कम नहीं कर पाई. इससे एक बात तो साफ हो गई है कि जनता भी नेताओं के जाल में फँस ही जाती है |

गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के दौरान अरविंद केजरीवाल ने जनता और मीडिया में लिखकर दिया था कि इस बार राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी. साथ ही उन्होंने कुछ उम्मीदवारों के नाम लेते हुए उनकी जीत का भी दावा ठोका था.

गुजरात में कांग्रेस जहाँ करीब 17 सीटों पर, वहीं आम आदमी पार्टी (आप) 5 सीटों पर सिमट गई | जबकि, कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनाव के अपने अच्छे प्रदर्शन के करीब भी नहीं पहुंच सकी है. गुजरात में यदि आम आदमी पार्टी को उम्मीदों के मुताबिक सफलता मिलती तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए खुद को प्रधानमंत्री मोदी का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ते. पंजाब में उनकी पार्टी पहले ही सरकार बना चुकी है.

 

गुजरात चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन को लेकर यह सवाल उठाया जा रहा है कि पीएम मोदी और अमित शाह के गृह राज्य में आम आदमी पार्टी के सिर्फ ताल ठोंकने से किसे फायदा और किसे नुकसान पहुंचा? अगर सीधे तौर पर देखा जाए, तो यहाँ सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा. दरअसल, गुजरात चुनाव में पहली बार किस्मत आजमा रही आम आदमी पार्टी को 13.2 फीसदी वोट शेयर हासिल हुआ. जबकि, बीजेपी की झोली में 53.5 फीसदी वोट शेयर आ गया. वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर 26.7 फीसदी ही रह गया, जो 2017 के चुनाव में 41.4 फीसदी था |

 

इस बार गुजरात विधानसभा में केवल एक मुस्लिम उम्मीदवार ने जगह बनाई है- कांग्रेस के इमरान खेड़ावाला. 2017 में, खेड़ावाला के अलावा दो मुस्लिम उम्मीदवारों ने गुजरात विधानसभा में जगह बनाई थी - वांकानेर सीट से MA पीरजादा और दरियापुर सीट से ग्यासुद्दीन शेख. लेकिन दोनों इस बार हार गए हैं.

 

भले ही मुसलमान गुजरात की आबादी का 9 प्रतिशत हैं, लेकिन राज्य में उनके प्रतिनिधित्व का इतिहास खराब रहा है. पिछले 27 साल से गुजरात में शासन कर रही (और अगले 5 साल का बहुमत पा चुकी) बीजेपी ने आखिरी बार 1998 में गुजरात विधानसभा चुनाव में एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा था.

 

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के उम्मीदवारों ने बड़ी मुस्लिम आबादी वाली 19 में से 13 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उनमें से किसी पर भी उसे जीत नहीं मिली. चूंकि AIMIM को इन 13 सीटों में से हरेक पर जीत के मार्जिन से कम वोट मिले हैं, इसलिए उस पर 'वोट कटवा' होने का आरोप सही नहीं है.

 

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