पंचायत वेब सीरीज रिलीज हो चुकी है और इसमें रिंकी का किरदार निभाने वाली सान्विका के चर्चे हैं। वेब सीरीज देख चुके लोग सान्विका के इंस्टाग्राम पर जाकर उनकी तारीफ कर रहे हैं। वेब सीरीज जब खत्म हुई तो प्रधान की बेटी रिंकी (Rinki) को पानी की टंकी पर दिखाया गया था। पूरे वेब शो में रिंकी एक मिस्ट्री बनी रहीं। दर्शक उम्मीद कर रहे थे कि पंचायत सीजन 2 (Panchayat Season 2) में रिंकी और अभिषेक के बीच जरूर लव ऐंगल दिखाया जाएगा। वेब शो 18 मई की शाम को रिलीज हो चुका है और कई लोगों ने इसके कई एपीसोड्स देख डाले हैं। इसे देखने के बाद लोगों ने सबसे पहले रिंकी के बारे में सर्च करना शुरू किया। अब रिंकी किरदार निभाने वाली सान्विका के इंस्टा अकाउंट तक पहुंच गए और उनकी जमकर तारीफ की है। पंचायत 1 में नीना गुप्ता और रघुबीर सिंह के दिमाग में आइडिया आता है कि अभिषेक त्रिपाठी की शादी रिंकी से करवा दी जाए। हालांकि रिंकी की झलक काफी कम दिखाई गई है। सीजन 2 में रिंकी का रोल ठीक-ठाक है। इसे देखने के बाद लोग उनके फैन हो गए हैं। यह रोल सान्विका ने निभाया है। उनके इंस्टाग्राम पर लोगों ने जमकर तारीफ की है। यहाँ तक कि लोग उन्हें नया 'क्रश' बता रहे हैं। सान्विका वेब शो में गांव की दिखाई साधारण लड़की दिखाई दी हैं। हालांकि उनके इंस्टाग्राम पर कुछ गजब की तस्वीरें हैं। एक यूजर ने रिंकी की तस्वीर पर लिखा है, नया क्रश,रिंकी। एक और ने लिखा है, पंचायत 2 देख लिया, बिग फैन। एक और कमेंट है, पंचायत देखने के बाद मैं आपका सबसे बड़ा फैन बन गया हूं। एक और कमेंट है, आप इंडिया का क्रश बनने वाली हो।
क्या है सान्विका की कहानी ?
हाल ही में एक अखबार को दिए इंटरव्यू में सान्विका ने बताया कि “पहले मैंने सोचा नहीं था कि ऐसा रिस्पॉन्स मिलेगा। पहले सीजन में मेरा बहुत छोटा पार्ट था, लेकिन जैसा लोगों का रिस्पॉन्स मिल रहा है मैं उससे बहुत खुश हूं” |
जब उनसे एक्टिंग करियर के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा- “मैं मुंबई जाना चाहती थी, लेकिन एक्टिंग के लिए। इंजीनियरिंग के बाद मैं कन्फ्यूज थी कि क्या करूं, लेकिन मैं जानती थी कि मुझे 9-5 वाली जॉब नहीं करनी है। मेरी एक दोस्त थी मुंबई में इंडस्ट्री का हिस्सा है। उसने मुझे कहा कि तुम क्यों यहां आकर काम नहीं करतीं। एक्टिंग नहीं तो कॉस्ट्यूम में कुछ कर लेना। मुझे घर से जाने की इजाजत नहीं थी तो मैंने पापा से कहा कि मुझे बेंगलुरु जाकर जॉब करना है। ऐसे मुझे घर से निकलने की परमिशन मिल गई जब आप डायरेक्ट कहते हैं कि मुंबई जाना है तो पेरेंट्स इजाजत नहीं देते। उनके मन में 100 तरह के ख्याल आते हैं। इसलिए मैं झूठ बोलकर बेंगलुरु गई और एक दो महीने रहकर घर पर बिना बताए मुंबई आ गई, मुंबई में घर मिलना, सारी चीजें मैनेज करना बहुत मुश्किल था, लेकिन ये एक मजेदार सफर था। आखिरकार घर पर पता चल गया। मैंने घर पर मॉम को बता दिया और उन्होंने बाकी मां की तरह पापा को बता दिया रोज ये सब बहुत अलग होता था। कभी बहुत फन होता है कि कुछ कर दिखाना है और जब बहुत स्ट्रगल के बाद कुछ नहीं मिलता है तो आप निराश हो जाते हैं। इस बीच जब घर से फोन पर पूछा जाता था कि बेटा कुछ काम मिला क्या तो कोई जवाब नहीं होता था। मैंने बहुत छोटे रोल से शुरुआत की थी। इससे खर्चा पानी तो निकल जाता है, लेकिन एक दो दिन के काम से होता ये है कि अगला काम आपको कब मिलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं होती। एक काम से दूसरे काम का जो इंतजार होता है वो बहुत फ्रस्ट्रेटिंग होता है। इस बीच जब घरवाले पूछते थे कि काम कैसा है तो रोज-रोज झूठ बोलकर गिल्ट होता था दूर से इंडस्ट्री देखने में बहुत मजेदार लगती है। लगता है कि सक्सेस तो यूं ही मिल जाएगी, लेकिन जब आप यहां आते हैं तो देखते हैं कि आपसे ज्यादा टेलेंटेड और सुंदर लोग हैं। जब आप इसे करीब से देखते हैं तो पता चलता है कि बहुत स्ट्रगल है। आपको हर जगह लड़ना होता है'.
खैर सान्विका को उनका रास्ता मिल गया है और जो लोग जिद्दी होते हैं उन्हें मंजिल भी मिल ही जाती है |