हमेशा की तरह पाकिस्तान ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का राग अलापने की कोशिश की लेकिन भारत की ओर से इस बार भी पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी गई। भारत की ओर से ‘राइट टू रिप्लाई’ का इस्तेमाल करके पाकिस्तान को पूरी दृढ़ता के साथ जवाब देने वाली भारतीय विदेश सेवा की युवा अधिकारी संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रथम सचिव स्नेहा दुबे की देश भर में प्रशंसा हो रही है। उनके जवाब देते ही सोशल मीडिया में #स्नेहादुबे ट्रेंड करने लगा।
भारत की इस तेज तर्रार आई एफ एस ऑफिसर स्नेहा ने अपनी बात को प्रभावी तरीके से रखते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग थे, हैं और रहेंगे। उन्होंने यह भी साफ किया कि इसमें वे क्षेत्र भी शामिल है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है उन्होंने कहा कि हम पाकिस्तान से उसके अवैध कब्जे वाले सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने की मांग करते हैं। उनका कहना था कि ऐसा पहली बार नहीं है। पाकिस्तान इस तरह की कोशिश पहले भी कर चुका है। पाकिस्तान ने पहले भी भारत के खिलाफ झूठ फैलाने और भारत की छवि गिराने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंच का गलत इस्तेमाल किया है।
आपको बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत को घेरना चाहते थे। उन्होंने भारत के खिलाफ खूब जहर उगला लेकिन उन्हें भारत की बेटी ने आईना दिखाया। इस युवा अफसर ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर झूठे प्रचार करने की कोशिश कर रहे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को बुरी तरह धो डाला। इमरान के एक-एक झूठ का स्नेहा ने मुंहतोड़ जवाब दिया और उसे अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत तक दे डाली। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे पाकिस्तान ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बना रहा है और कश्मीर में भी अवैध कब्जा जमाकर बैठा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्नेहा दुबे ने जिस दमदारी से अपनी बात को दुनिया के सामने रखा और पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया उसके बाद से ट्विटर से लेकर फेसबुक तक पर लोग इस दमदार महिला अधिकारी के बारे में सर्च करने लगे। स्नेहा दुबे ने वर्ष 2011 में पहले ही प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा पास की। वह गोवा में पली-बढ़ी और अपने बचपन का अधिकांश समय वहीं बिताया। स्नेहा ने पुणे के फर्ग्यूसन कालेज से स्नातक करने के बाद नई दिल्ली के जवाहरलाल विश्वविद्यालय (जेएनयू) से भूगोल में परास्नातक किया।
स्नेहा की पहली नियुक्ति विदेश मंत्रालय में हुई उसके बाद वर्ष 2014 में भारतीय दूतावास मैड्रिड में उनकी नियुक्ति हुई। कुछ सालों के बाद उन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की प्रथम सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। गोवा में पली-बढ़ीं स्नेहा हमेशा से इंडियन फॉरन सर्विस जॉइन करना चाहती थीं। बताया जाता है कि स्नेहा का कोई प्लान 'बी' नहीं रहा। उनका बस एक ध्येय था सिविल परीक्षा पास करना और दूसरे विकल्पों को रखने से वह इस पर से ध्यान भटकाना नहीं चाहती थीं। उन्होंने 12 साल की उम्र में ही तय कर लिया था कि उन्हें सिविल सर्विसेज में ही जाना है।